प्रस्तावना -
"यत्र नार्यस्तु पुजयन्ते रमन्ते तत्र देवता"
अर्थात्
जहाँ नारियों को सम्मान दिया जाता है वहाँ साक्षात् देवता निवास करते हैं ये आपकी और मेरी कही हुई बात नहीं हैं वरन् वेद वाक्य है, फिर भी इस ध्रुव सत्य पर उपेक्षा के बदल सदियों से मँडराते आ रहे हैं। विषय के आधुनिक पक्ष की ओर विचार करें तो मुझे एक तरफ़ यह जानकर बड़ी प्रसन्नता होती है कि नारी सशक्तीकरण, लाड़ली योजना, बेटी-बचाओ,बेटी पढ़ाओ आदि योजनाएँ लागू की जा रही हैं जो साबित करती है कि अभी भी समाज के ऊँचे पदों पर बुद्धिजीवी लोग आसीन हैं जो सृष्टि की संरचना में आधीभूमिका निभाने वाली महीयशी महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए कार्यरत हैं दूसरी तरफ़ यह सोचकर मुझे काफ़ी दु:ख होता है किभारत जैसे देश में ऐसे भी लोग हैं जिन्हें यह बताने की ज़रूरत है कि नारियों को भी उनका अधिकार मिलना चाहिए।
उनलोगों के ज़हन में ये साधारण-सी बात क्यों नहीं आती कि उनके अस्तित्व में आधी साझेदारी स्त्री की ही है और अगर वो इस विषय पर थोड़ा और विचार करें तो वे यह भी जान पाएँगे कि अगर उनके व्यक्तित्व में कहीं भी कुछ भी कमी रह गई है तो इसके पीछे का एकमात्र कारण उनसे जुड़ी स्त्रियों के अधिकारों का हनन है। आज के इस विकासशील देश में जहाँ मंगलयान की सफलता पर पूरा विश्व भारत को शुभकामनाएँ दे रहा है। उसी समय एक सवाल मुंह उठाता है कि क्या भारत केवल तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है? क्या नारियों के प्रति सोच-विचार की मानसिकता में प्रगति शिथिल पड़ी हुई है? लिंगानुपात के बढ़ते असंतुलनको देखकर भी हमारी आँखें नहीं खुलती। पिछले 14 वर्षों से सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं में लड़कियाँ ही अव्वलआ रही हैं।
यहाँ तक कि विश्वविख्यात मनोवैज्ञानिक सिग्मंड फ्रोएड ने अपने प्रयोगों से सिद्ध कर दिया है कि स्त्रियाँ पुरुषों की तुलना में अधिक मेहनती, धैर्यवान, अहिंसक और ईमानदार होती हैं और ये सभी गुण उन्नति के मार्ग में मील का पत्थर साबित होती है। ये सब जानने के बाद भी हम नारियों के साथ अमानवीय व्यवहार कैसे कर सकते हैं? क्या ऐसा कृत्य पाशविकता का पर्याय नहीं है?
अब आवश्यकता है कि हम नज़र उठा कर देखें उन देशों की तरफ़ जो विकसित हैं और पाएँगे कि सभी विकसित देशों में एक बात सामान्य है कि वहाँ नारियों को पुरुष के समान अधिकार दिया जाता है। शायद ऐसे ही कुछ कारण हैं जिस वजह से हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की है।
संस्था का उद्देश्य -
इस योजना का उद्देश्य बेटी के प्रति समाज को जागरूक कराना, भ्रूण हत्या पर प्रभावी अंकुश लगाना एवं संस्थान द्वारा शिक्षण संस्था बी.पी. गुरुकुल एकेडेमी में गरीब व असहाय वर्ग की बेटियों को निःशुल्क प्रवेश दिलाकर उनके पुरे वर्ष के शैक्षिक खर्च को बहन कर सम्पूर्ण शिक्षा प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाना है.
कार्य प्रणाली -
इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष पूर्व से निर्धारित ओप्रेसनल प्लान के अनुरूप प्रदेश के विभिन्न जनपदों के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में जागरूकता शिवरों का आयोजन कर क्षेत्र में पम्पलेट्स, ब्रोसर व अन्य प्रचार सामग्री का वितरण कर लोगों को सरकार की बेटियों के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं से रूबरू कराना है. साथ ही क्षेत्र में पूर्व स्थापित बी.पी. गुरुकुल एकेडेमी में गरीब एवं असहाय वर्ग की बेतोयों को प्रवेश दिलाकर उनके शिक्षण की व्यवस्था करना है. जिससे वे समाज में एक समानता के साथ बिना किसी भेद-भाव के बेहतर शिक्षा प्राप्त कर देश की प्रगति में अपना भावी योगदान दे सकें.
पात्रता -
गरीब एवं असहाय वर्ग की 2.5 वर्ष से 14 वर्ष आयु वर्ग की सभी बेटियां.
भारत देश की केंद्र सरकार ने देश में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कई प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना लागु की हैं . भारत देश में कई तरह की छात्रवृत्ति योजना चलती है, जिसके अंदर अलग-अलग लाभ अलग-अलग लाभार्थी को दिए जाते है. सरकार इसमें ऐसे विद्यार्थियों का चयन करती है जो मेरिट में आये है, और जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है. योजना के अंतर्गत मिलने वाली वित्तीय सहायता और योजना की पूरी निगरानी केन्द्रीय सरकार द्वारा की जाती है.....Read more
प्रसिद्ध गीतकार तनवीर ग़ाज़ी ने लिखा है -
"तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है,
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है|"
आज का वर्तमान युग वैज्ञानिक युग है| जो देश विज्ञान के क्षेत्र में जितनी अधिक शीघ्रता से तरक्की करेगा, वह उतनी ही शीघ्रता से संसार में विकास के परचम को लहरा सकेगा| अतः देश के प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि वह शिक्षित एवं सम्रद्य होकर देश की प्रगति में अपना भावी योगदान दे|
स्वरोजगार एक मात्र ऐसा साधन है, जिसमें आपको अपने जीवन को बहुआयामी द्रष्टिकोण से देखने और उसपर चलने का अवसर प्राप्त होता है. आप अपने आप को जितना अधिक तरास पायेगें उतनी ही अधिक ऊँचाईयों पर अपने आप को पायेगें. इसीलिए कहा गया है कि ....
"खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो"
यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का, उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए.
दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने, कि लोग क्या कहेंगे. अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही
प्रिय मित्रों,
सर एल० एस० के० ग्रुप व उसके द्वारा स्थापित विभिन्न संस्थानों एवं संचालित योजनाओं को सफल बनाने के लिए आप सभी का ह्रदय से आभार व्यक्त करते हुए मुक्षे अत्यन्त हर्ष हो रहा कि आप सभी ने इतने कम समय में सर एल० एस० के० ग्रुप को बुलंदियों पर पहुँचा दिया।
साथियों जैसा कि हमारे संस्थान का उद्देश्य हमेशा समाज के लिए उचित ज्ञान, कौशल, अनुशासन और पर्याप्त रूप से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने का रहा है, हम आपको पूर्ण विश्वास दिलाते हैं कि आपके विश्वास को सदैव कायम रखते हुए, समाज के हितार्थ कार्य करते रहेंगे।
इंजी० आर० बाबू
प्रबंध निदेशक
सर एल० एस० के० ग्रुप
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